Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
जूनियर डॉक्टरों ने अपनी 10 सूत्रीय मांग पत्र में इस प्रणाली को लागू करने की मांग प्रमुखता से रखी थी। उनका कहना है कि राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में केंद्रीय रेफरल प्रणाली लागू होने से मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में से एक केंद्रीय रेफरल प्रणाली को परीक्षण के तौर पर शुरू कर दिया है। मंगलवार को सोनारपुर ग्रामीण अस्पताल से एक मरीज को केंद्रीय रेफरल प्रणाली के माध्यम से एमआर बांगुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस प्रक्रिया के तहत मरीज की जानकारी ‘हेल्थ मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम’ (एचएमआईएस) पोर्टल पर दर्ज की गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने मरीज का इलाज शुरू किया।
जूनियर डॉक्टरों ने अपनी 10 सूत्रीय मांग पत्र में इस प्रणाली को लागू करने की मांग प्रमुखता से रखी थी। उनका कहना है कि राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में केंद्रीय रेफरल प्रणाली लागू होने से मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इस पद्धति से यह भी स्पष्ट हो सकेगा कि किस अस्पताल में कितनी बेड खाली हैं, जिससे समन्वय में सुधार होगा और मरीजों के परिजनों को अस्पतालों के बीच भटकने से राहत मिलेगी।
जूनियर डॉक्टरों ने यह भी मांग की है कि मरीजों की सुविधा के लिए हर अस्पताल में एक डिजिटल मॉनिटर लगाया जाए, जिसमें खाली बेड की जानकारी तुरंत उपलब्ध हो।
सोमवार को मुख्य सचिव मनोज पंत ने जूनियर डॉक्टरों और विभिन्न चिकित्सक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। बैठक में उन्होंने बताया कि सरकार ने डॉक्टरों की 10 में से सात मांगों को मान लिया है और उन पर काम चल रहा है। हालांकि बाकी तीन मांगों को कब लागू किया जाएगा, इसकी कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई।
मुख्य सचिव की इस घोषणा के अगले ही दिन स्वास्थ्य विभाग ने परीक्षण के रूप में केंद्रीय रेफरल प्रणाली को लागू कर दिया। संयोग से यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज मामले की सुनवाई से ठीक पहले लिया गया है, जिससे सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की एक महत्वपूर्ण मांग को स्वीकृति दी है।
इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि देवाशीष हलदार ने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में केंद्रीय रेफरल प्रणाली शुरू की गई है। हम भी अपनी तरफ से आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराएंगे।”
इस नई प्रणाली के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में सुधार की उम्मीद की जा रही है, ताकि मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिल सके और अस्पतालों के बीच समन्वय की कमी से होने वाली परेशानी खत्म हो।